ख़ास कलम :: डॉ.सोनी
वो औरत... - डॉ. सोनी थके पांव.. मुरझाया चेहरा.. सूखे होंठ.. आंखों में छुपा.. वह दर्द गहरा.. फिर भी मुस्कुराती है.. चल रही...
ख़ास कलम :: नंद कुमार आदित्य
सपना मंजुल भावका - नंद कुमार आदित्य सिलसिला आपकी तगाफुलका दर्द पिंजरेमें ...
ख़ास कलम :: जयप्रकाश मिश्र
फागुनी दोहे - जयप्रकाश मिश्र होली दस्तक दे रही, प्रेम, नेह, अनुराग। क्यों यौवन में भोगती, गोरी तुम बैराग।। जोगीरा...
ख़ास कलम :: मधुकर वनमाली
बरसाणे की बावरी बरसाणे की बावरी,राधा सुंदर नाम। धवल सरीखी दूध जो,मीत मिला घनश्याम।। वनमाली यह सोचते,अलग हुआ जो रंग। हंस मिले ज्यों काग से,...
ख़ास कलम : मधुकर वनमाली
शारदे वर देना - मधुकर वनमाली बुद्धि नहीं कोई हर पाए बस यही शारदे वर देना अज्ञान मिटाओ तिमिरों के...
खास कलम :: अभय शर्मा
तुम्हें मेरा नाम याद आ जाये मैं तुझसे बात नहीं करता इसका मतलब यह नहीं कि तुम्हें याद नही करता.. सोचता हूँ कि अब तक...
ख़ास कलम : अंंजली
तो खुद को किनारा कर लिया दुनियाभर का एकाकीपन हृदय में अपने भर...
खास कलम:: रेखा दूबे
मां - रेखा दुबे कितना सुंदर रूप तुम्हारा जैसे गंगा जल की धारा , शान्त , शाश्वत ,रूप बेल सा कर्तव्यनिष्ठा से,परिपूरित था, हम ढूंढ...
ख़ास कलम :: अविनाश भारती
ग़ज़ल 1 अब न संभले हम यहां तो जलजला हो जाएगा आदमी से आदमी का फासला हो जाएगा क्यों कही यूं शायरी में बात...
ख़ास कलम :: हेमा सिंह
माँ - हेमा सिंह मैं रोई तो माँ भी मेरे दर्द से कितना रोई थी ! जीवन दान मुझे देने को, आशीषों के ताग...