कल्पना पांडेय की चार कविताएं
लाल दुख.. दुःख तो हमेशा से ही सदाबहार रहा है पर उसमें खिलने वाले फूल …. वो फूल… जो किसी स्त्री की देह के लिए ही खिलते हैं निश्चित ही….…
लाल दुख.. दुःख तो हमेशा से ही सदाबहार रहा है पर उसमें खिलने वाले फूल …. वो फूल… जो किसी स्त्री की देह के लिए ही खिलते हैं निश्चित ही….…
डिलीट होते रिश्ते ‘समकालीन कथा परिदृश्य में मुखरित संवेदनहीन होते मानवीय रिश्ते’ – आज का यही मुद्दा था. व्हाट्सएप ग्रुप ’वाक् युद्ध’ के इस वैचारिक बहस में वह भी कूद…
किंबहुना – ए. असफल जीएम मीटिंग लेने वाले थे। आरती के हाथ पाँव फूल रहे थे। फाउन्डेशन की एक और प्रोजेक्ट आफीसर नीलिमा सिंह उसे नष्ट कराना चाहती है। जीएम…
………………………………………………. संप्रत्ति – मंदसौर, मध्यप्रदेश
विशिष्ट गजलकार : दरवेश भारती 1 हम ज़िन्दगी की राह खड़े देखते रहे झूठी खुशी की राह खड़े देखते रहे आयेगी और मिटायेगी जो तीरगी-ए-ज़ेह्न उस रौशनी की राह खड़े देखते रहे आपस की दुश्मनी का रहे अब न सिलसिला हम दोस्ती की राह खड़े देखते रहे सब- कुछ हड़प गया वो सुधारों की आड़ में जिस…
___________________________ पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर कविताएं, समीक्षाएं व अनुवाद प्रकाशित. अब तक तीन काव्य संग्रह. पता : 233, हरिपुरा विदिशा, मो. 9425034312 email – brajshrivastava7@gmail.com
एक रात की बात है शालू अपने बिस्तर पर लेटी थी। अचानक उसके कमरे की खिडकी पर बिजली चमकी। शालू घबराकर उठ गई। उसने देखा कि खिडकी के पास एक…
एक चिड़ा पेड़ पर घोंसला बनाकर मजे से रहता था। एक दिन वह दाना पानी के चक्कर में अच्छी फसल वाले खेत में पहुँच गया। वहाँ खाने पीने की मौज…
इतना तो लगभग निश्चित हो ही चुका है कि कवि कालिदास नाम के सज्जन कभी न कभी हुए ज़रूर थे। क्यों कि किसी और देश ने उनके बारे में अपना…
जानकीवल्लभ शास्त्री के गीत में संगीत पुस्तक के लेखक डॉ अरविंद कुमार ने यह काम कर दिखाया है, जो शास्त्री जी पर शोध करने वाले दर्जनों शोध कर्ताओं से संभव…