दादा जी की टॉफियां
- सुजाता प्रसाद
आशु और अवनि दादा जी के साथ खेल रहे थे। आशु दादा जी को गेंद कैच करवाता और दादा जी अवनि को। बच्चों के साथ दादा जी भी खुश थे। तभी अगली बारी में दादा जी के हाथ से गेंद छूट गई। आशु और अवनि ताली बजाने लगे। गेंद को अपनी ओर लपकने की कोशिश में दादा जी की जेब से टॉफियां निकल के फर्श पर गिर गईं थी।
अरे दादा जी आपको तो डॉक्टर ने मीठा खाने से परहेज़ करने के लिए कहा है ना, फिर क्यों खाते हैं आप। अपनी चोरी पकड़े जाने पर मुस्कुराते हुए दादा जी ने कहा अच्छा अब नहीं खाऊंगा। आशु और अवनि ने एक साथ कहा, तो करो प्रॉमिस कि आप टॉफी नहीं खाओगे। दादा जी ने बड़े प्यार से हामी भर दिया।
थोड़ी देर बाद आशु अपना होमवर्क करने लगा। विज्ञान की पुस्तक हाथ में लेते ही उसे याद आया कि भोजन में आवश्यक तत्वों के अभाव और उससे उपजी बीमारियों के बारे में पढ़ कर जाना है। बहुत ही तन्मयता से आशु पढ़ रहा था। पढ़ते-पढ़ते उसने यह भी जाना कि इंसुलिन की कमी से डाइबिटीज नामक बीमारी होती है, जिसे शुगर की बीमारी भी कहते हैं। इस बीमारी में चीनी नहीं खाने की सलाह दी जाती है। और इसकी रेमेडी या इससे छुटकारा पाने के लिए भी कई सुझाव दिए गए थे।
ऐसी जानकारी मिलते ही वह दादा जी के पास जाकर उनके कंधों पर झूल गया। दादा जी ने पूछा क्या बात है आशु, बड़ा लाड लड़ा रहा है। कुछ काम करवाना है मुझसे। हां जी दादा जी, आप तो मेरे मन की बात भी जान गए। दादा जी ने कहा तो बताओ क्या चाहिए? आशु ने कहा पहले वादा करो। दादा जी ने कहा ठीक है। आशु ने कहा नो चिटींग, ओके। दादा जी ने कहा, बताओ भी या पहेलियां ही बुझाते रहोगे।
बताता हूं मेरे प्यारे दादा जी। आपको डायबिटीज है ना, तो फिर आज से टॉफी खाना छोड़ना होगा। डॉक्टर की दवाई समय पर लेना होगा। मम्मी करेले का जूस और मेथी दाने का पानी दे तो पीना होगा। सुबह सुबह जब पापा सदाबहार के फूल या पत्तियां लेकर आएं तो उसका भी सेवन करना होगा। स्वस्थ रहोगे तभी तो मैं अपने दादा जी के साथ खेल पाऊंगा। ऐसा मेरी विज्ञान की पुस्तक में लिखा है। अब तक दादा जी एकटक आशु के बाल सुलभ मन की बात सुन रहे थे। अपने प्रति आशु की परवाह देखकर उनकी आंखें भर आईं थी। उन्होंने आशु को गले लगा लिया और अपनी जेब से बची हुई टॉफियां निकाल कर मेज पर रख दिया।
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सुजाता प्रसाद, शिक्षिका सनराइज एकेडमी, नई दिल्ली, भारत