गहन भावपूर्ण कृति : घरों को ढोते लोग – रमाकांत चौधरी
गहन भावपूर्ण कृति : घरों को ढोते लोग -रमाकांत चौधरी जहाँ एक ओर सब कुछ मोबाइल पर सर्च करने की आदत ने पुस्तकों की ओर से लोगों को उदासीन कर…
गहन भावपूर्ण कृति : घरों को ढोते लोग -रमाकांत चौधरी जहाँ एक ओर सब कुछ मोबाइल पर सर्च करने की आदत ने पुस्तकों की ओर से लोगों को उदासीन कर…
दिनकर की बाल कविताओं का माधुर्य -डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफरी हिंदी कविता में दिनकर का समय छायावाद के बाद है. दिनकर पुर हिंदी साहित्य में जयशंकर प्रसाद के बाद दूसरे…
धर्मपाल महेंद्र जैन की दस कविताएं खंडित देह जीते हुए अपनी यौन विकृति के दंश मान-अपमान सबको समेटे ग्रंथों में आते हैं वे बुनते हुए ख़ुशियाँ भले ही छोड़नी…
डॉ सुनील कुमार शर्मा की ग्यारह ग़ज़लें मुझे पहले यूँ लगता था सहारा चाहिए मुझको मुझे पहले यूँ लगता था सहारा चाहिए मुझको मगर अब जा के समझा हूँ…
सुरेश सौरभ की दो लघुकथाएं धुंध भाई इंस्ट्राग्राम में मशगूल था। अचानक सामने आये एक वीडियो को देखकर उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। अरे! यह क्या? यह तो…
सभी वर्गों के जीवन का लेखा-जोखा करतीं लघुकथाएं सुधा जुगरान लंबी कथाओं को पढ़ने के आदी पाठकों के सामने जब लघुकथाओं की पुस्तक हाथ में आती है, तो गद्य की…
चरित्र मो नसीम अख्तर नौकरी मिलने के कुछ ही दिनों के बाद मेरा तबादला टीकमगढ़ हो गया था। जहाँ हर तरफ क़ुदरती ख़ुबसूरती बिखरी पड़ी थी। मै अचानक शहर की…
बिखरती सद्भावनाओं को समेटती लघुकथाएं -शिव सिंह ‘सागर‘ लघुकथा की दुनिया में सुरेश सौरभ पुराना और प्रतिष्ठित नाम है। मुझे इन दिनों उनके संपादन में संपादित लघुकथा का साझा…
अनीता रशिम की कविताएं चाह अबकी आना लाना संग पलाश, गुलमोहर थोड़ी मिट्टी गाँव की, नदी किनारे का चिकना पत्थर गीली रेत, थोड़ी हवा धूप भी और लाना…
मृत्युंजया – प्रतिभा चौहान पहली मुलाकात के चंद महीनों बाद …एक जाड़े की अंधेरी रात; वैभवी बड़े बड़े कदमों से भागी थी, डर…