खास कलम :: सत्यशील राम त्रिपाठी के दोहे

यहाँ मिली हैं हड्डियाँ, वहाँ मिला है खून| जंगल से बदतर हुआ, बस्ती का कानून|| आखिर कब कैसे हुई, दरवानों से चूक| दूर देश से आ गई, दिल्ली में बंदूक||…

पुस्तक समीक्षा :: डॉ सपना तिवारी

वर्तमान यथार्थ का : ‘अनकही अनुभूतियों का सच’ वस्तुतः काव्य मानवीय संवेदना की भावाभिव्यक्ति है, जिसमें समग्र यथार्थ के साथ तदात्म्य स्थापना की प्रक्रिया चलती रहती है। कविता का काम…

विशिष्ट कहानीकार :: सिनीवाली शर्मा

अफसर की बीबी मोबाइल की घंटी बजते ही रसोई से भुनभुनाती हुई कामिनी निकली, ” कितनी बार कहा इनसे एक नया मोबाइल ले लो, लेकिन हर महीने कहेंगे अगले महीने…

विशिष्ट गीतकार :: शुभम् श्रीवास्तव ओम्

एक चिड़िया फड़फड़ाती अब असम्भव हो रहा है इस व्यथा को शब्द देना रील में उलझे हुए पर एक चिड़िया फड़फड़ाती। उँगलियों के पोर में कुछ काँच के जैसा करकता…

विशिष्ट ग़ज़लकार : कृष्ण कुमार प्रजापति

1 खुलके हँसना – मुस्कुराना आ गया हमको भी अब ग़म छिपाना आ गया दोस्त भी दुश्मन नज़र आने लगे जाने कैसा ये ज़माना आ गया जब चमन में टूट…

विशिष्ट कहानीकार : अमरेंद्र सुमन

खामोशी चार अलग-अलग कंधों के सहारे बेजान एक जवान युवक को शहर के मुख्य अस्पताल की ओर ले जाया जा रहा था। विकट उष्णता भरी रात में भी आने वाले…

पारंपरिक जनजातीय लोक कला सोहराई – कुमार कृष्णन

पारंपरिक जनजातीय लोक कला सोहराई – कुमार कृष्णन झारखंडी संस्कृति में सोहराई कला का महत्व सदियों से रहा है। बदलते परिवेश में कथित आधुनिकता के नाम पर लोगों का शहरीकरण…