‘मेरा चेहरा वापस दो’ ग़ज़ल का नया और मौलिक चेहरा : डॉ. भावना
‘मेरा चेहरा वापस दो’ ग़ज़ल का नया और मौलिक चेहरा – डॉ. भावना ‘मेरा चेहरा वापस दो’ छोटे बहर के मशहूर शायर विज्ञान व्रत का चुनिंदा ग़ज़लों का संग्रह है,…
‘मेरा चेहरा वापस दो’ ग़ज़ल का नया और मौलिक चेहरा – डॉ. भावना ‘मेरा चेहरा वापस दो’ छोटे बहर के मशहूर शायर विज्ञान व्रत का चुनिंदा ग़ज़लों का संग्रह है,…
‘मौत का उत्सव’ संजीवनी बूटी, बढ़ाएगी प्रतिरोधक क्षमता – रूपम झा मौत का उत्सव वरिष्ठ कवि रवि खण्डेलवाल जी रचित एक काव्य संग्रह है जिसे कवि ने कोरोनाकाल की त्रासदी…
आज भी – डॉ शिप्रा मिश्रा आज भी.. देखा मैंने उसे पानी में खालिश नमक डाल कर उसने मिटाई अपनी भूख आज भी– खाता है वह सिर्फ रात में…
आजाद परिन्दे निहाल सिंह उड़ते रहते हैं आजाद परिन्दे बेखोफ नीले गगन में जहाँ ना कोई सरहद है, ना कोई बंधन है धरा के इंसान के ज्यूॅं पाॅंवो में ना…
समीर परिमल की छह ग़ज़लें 1 आगे बढ़कर जी लूँ जिसको लम्हा ढूँढ रहा हूँ मैं काले सायों में इक साया अपना ढूँढ रहा हूँ मैं तेरे मेरे बीच में…
फसलों-सा कट जाओ जैसे मुस्कातीं हैं सुबहें, वैसे तुम मुस्काओ। बहो हवा-सा रिश्तों में तुम, पेड़ों जैसा झूमों। पत्थर भी हों राहों में तो, लहरें बनकर चूमों। समय परोसे गर…
मनोज की दो बाल कहानियां जैसे को तैसा उत्पल के दिन की शुरुआत नित्य क्रिया और भगवत भजन से होती थी। वह नित्य स्नान के बाद फ्रेम में मढ़े सरस्वती…
व्यंग्य आलेख रेलवे किसी की निजी संपत्ति नहीं – आशुतोष कुमार रेलवे के निजीकरण की बात सुन…
1. एक औरत दरवाजे से बाहर झांकी औरत को झांकने लगी हजारों निगाहें जो टिकी थी दरवाजे पर ही उन निगाहों में कुछ पहरेदार थे कुछ आवारा , लुच्चे –…
उसकी व्यथा -डॉ. सतीश चन्द्र भगत अजीत ने अपने मित्र संजय से कहा-” बहुत मुश्किल है आज के जमाने में सत्य की राह पर चलना |”…